इतिहास और राजनीति >> शेरशाह सूरी शेरशाह सूरीसुधीर निगम
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अपनी वीरता, अदम्य साहस के बल पर दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा जमाने वाले इस राष्ट्रीय चरित्र की कहानी, पढ़िए-शब्द संख्या 12 हजार...
अमावस्या से पूर्णिमा की ओर बढ़ने वाले, तलहटी से शीर्ष पर पहुंचने वाले शेरशाह का भारतीय इतिहास में विशिष्ट स्थान है। अकबर अपने पिता हुमाऊं को भारत से खदेड़ने वाले शेरशाह से इतना प्रभावित था कि उसने इस वीर पुरुष की जीवनी लिखवाई। शेरशाह उन थोड़े से विदेशी शासकों में से एक था जिसने भारत जैसे विशाल देश को एक सूत्र में बांधने का काम किया और नागरिक सुविधाओं और यातायात के साधनों का विस्तार किया। अपने समय में शेरशाह अत्यंत दूरदर्शी और सूझबूझ वाला आदमी था।
अपनी वीरता, अदम्य साहस के बल पर दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा जमाने वाले इस राष्ट्रीय चरित्र की कहानी, पढ़िए-
- शेरशाह...
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- अल्पकाल विद्या सब पाई
- जागीर की जिम्मेदारी
- नारि स्वभाव सत्य ही कहहीं, अवगुण...
- तेजी से घूमता घटनाचक्र
- हुमाऊं की दुश्वारियां
- शेरशाह की समस्याएं
- शेरशाह की मालवा नीति
- राजपूताना विजय
- भू-राजस्व व्यवस्था
- कैसे चलता था प्रशासन ?
- शासन करने की विधि
- समदर्शी है नाम तिहारो
- देश को मिले-सड़क, सराय व किले
- वाणिज्यिक क्रिया कलाप
- दान किए धन न घटे
- सैन्य संगठन
- अजआतिश मुर्द
- शाह के उत्तर-शाह
- बादशाह का सपना
- आधार ग्रंथ
- उद्धरण...
- भारत सरकार द्वारा जारी डाक टिकट
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शेरशाह...
दीर्घकाल तक अफगानिस्तान हिन्दुस्तान का एक हिस्सा होकर रहा है। उसकी भाषा पश्तो बुनियादी तौर पर संस्कृत से निकली है। हिन्दुस्तान में या हिन्दुस्तान के बाहर बहुत कम जगहें ऐसी हैं जहां भारतीय संस्कृति की स्मृतियां और भग्नावशेष - विशेषकर बौद्ध युग के - इतने बहुतायत से हों जितने अफगानिस्तान में हैं। अधिक ठीक तो यही रहेगा कि अफगान लोग हिन्दी अफगान कहे जाएं। अफगान जब यहां आए तो शुरू-शुरू में उनका व्यवहार ऐसा रहा जैसा विजेताओं का विजित लोगों के साथ होता है यानी कठोरता और निर्दयता का। लेकिन वे जल्द ही नरम पड़ गए। हिन्दुस्तान उनका घर बन गया और रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी के ‘काबुलीवाला’ हो गए। हिंदुस्तानी औरतों से व्याह करने लगे। अलाउद्दीन खिलजी और उनके पुत्र की पत्नियां हिन्दू थीं। दिल्ली के मशहूर सुल्तान फिरोजशाह और गयासुद्दीन तुगलक की माँएं भी हिन्दू थीं।
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